मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

इसमें दबा है अरबो का खजाना - कमरुनाग झील - हिमाचल प्रदेश

आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में कहा जाता है की उसमे अरबो रुपए का खजाना दफन है यह है हिमाचल प्रदेश  के पहाड़ो में स्थित  कमरुनाग झील। 





जेब से दस, बीस, सौ, पांच सौ, और हजार का नोट निकाल कर कोई पानी में फेंकता नजर आए या फिर गहनों से लकदक सजी धजी सुहागिन अपने जेबरों को एक एक करके जिस्म से उतार कर पानी के हवाले करती दिखे तो किसी भी बहारी व्यक्ति के लिए यह आठवां आश्चर्य या फिर आखों पर विश्वास न करने जैसी बात होगी,मगर यह एक सच है, सौ फीसदी सच,जिसे कोई भी पहली आषाढ वाले दिन मंडी जिला में समुद्र तल से 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कमरुनाग झील तक पहुंचकर देख सकता है जिला में बडा देव के नाम से प्रख्यात कमरुनाग मंदिर के साथ झील भी है जिसके किनारे हर साल पहली आषाढ यनि 15 जून को सरानाहुली का मेला जुटता है इस मेले में अपार जनसमूह अपनी उम्मीदों मन्नतों गठरी दिलो दिमाग पर बांध कर उमडता है निसंतान दंपतियों को संतान की चाह हो या फिर अपनों के लिए सुख शांति और सुख सुविधा की मनौती, हर श्रद्धालु के मन में कोई न कोई कामना रहती है जो इसे मीलों पैदल चढाई चढाकर इस स्थल तक पहुंचा देती है झील के चारों और पूजा करते महिला पुरषों का रेला जहां तक नजर डालें बस लोग ही नजर आएं बलि दर बलि से लाल सुर्ख होते कमरुनाग में फिर शुरु होता है भेंट चढाने का सिलसिला झील के किनारे स्थित काष्ठ निर्मित पहाडी शैली के मंदिर में बडा देव की पाषाण प्रतिमा के आगे भले ही लोग लगातार शीश नवाते रहें, मगर असली मान्यता तो उनकी झील के साथ ही है तभी तो पूजा अर्चना के बाद देवता द्वारा तय समय से एक दम आरंभ हो जाता है यह आश्चर्यजनक भेंट चढाने का सिलसिला लोग अपनी जेबों से करंसी नोट निकाल कर झील के पानी में फेंकते हैं और यह सिलसिला लगातार चलता रहता है कुछ ही घंटों में झील पर नोट ही नोट तैरते नजर आते हैं मगर जो सोना चांदी जोझील में फेंका जाता है, वह झील के गर्भ में समाता जाता है 

लकड़ी से बना है पूरा मंदिर
कमरुनाग मंदिर लकड़ी से निर्मित है। परंपरा मंदिर में कमरुनाग की पत्थर की प्राचीन मूर्ति विद्यमान है। मूर्ति के पर भक्तगण श्रद्धानुसार फूल के साथ चावल चढ़ाते हैं। सदियों से यहां एक विशिष्ट परंपरा है कि लोग मनोकामना पूर्ण होने पर मूर्ति पर भेंट न चढ़ाकर झील में डाल देते हैं। इसी परंपरा के चलते इस झील में सोने-चांदी के गहने, रुपए, सिक्कों आदि का अथाह भंडार है।
झील में अपने आराध्य के नाम से भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय है, जब देवता को कलेवा लगेगा अर्थात भोग लगेगा, तब ही झील में भेंट डाली जाती है। कई श्रद्धालु देव कमरुनाग को घटोत्कछ के पुत्र बर्बरीक का रूप भी मान्यता प्रदान करते हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि बर्बरीक भी शक्तिशाली राजा थे और उनका भी सिर काट दिया गया था। कुरुक्षेत्र में जहां महाभारत का युद्ध लड़ा गया था, आज भी वहां बड़े चाव से कमरुनाग की वीरता के किस्से सुने और सुनाए जाते हैं।


वर्षा के देव हैं कमरुनाग देव
प्रभु कमरुनाग को बड़ा देव भी कहा जाता है तथा इनकी वर्षा के देवता के रूप में भी मान्यता है। सूखे की स्थिति में लोग कुल्लू, चच्योट, मंडी, बल्ह और करसोग आदि स्थानों से यहां आकर अच्छी वर्षा के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। हर वर्ष आषाढ़ मास के प्रथम पखवाड़े को यहां मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर देव कमरुनाग की महिमा का गुणगान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बताते हैं कि यह परंपरा सदियों से इसी तरह से चली आ रही है पहले लोग गहने ही चढाते थे या अपने साथ लाए चांदी के सिक्के, मगर अब करंसी भी पानी में डाल देते है लोग देवता से मन्नतें मांगते हैं और उनकी मन्नतें जब पूरी हो जाती हैं तो वह सरानाहुली के दिन यहां आकर झील में जेबर, चांदी व करंसी भेंट के रुप में फेंकते हैं उनके अनुसार लोग झील को ही देवता का असली रुप मानते हैं और इसी कारण से झील में भी भेंट चढाते हैं कई महिलाएं तो अपने शरीर के सारे जेबर उतार कर पानी में फेंक कर मन्नतें मांगती हैं व श्रंगारविहीन होकर वापस लौटती हैं गांव कुटाहची के  प्रधान भी हैं बताते हैं कि कई बार रात के समय झील में गडगडाहट की आवाज आती है पानी उछलता है और उपर आकर मूर्ति के चरणों को छू जाता है ऐसे में ही लोगों की आस्था ज्यादा है कि झील ही असली देवता का स्थल है जैसे कि परंपरा चली आ रही है मेले की समाप्ति के दूसरे दिन देव कमरुनाग मंदिर कमेटी के लोग झील में लकडी डाल कर उसकी मदद से सभी नोटों को निकाल लेते हैं इन नोटों से चांदी खरीदी जाती है और फिर उस चांदी को झील में डाल दिया जाता है ऐसा इस कारण से किया जाता है ताकि लोगों की भेंट कागज की करंसी के गल जाने से व्यर्थ न चली जाए इसके बाद झील किनारे हवन किया जाता है तथा शुद्धि की जाती है सोने चांदी से अटी पडी इस झील पर चोरों की भी नजर रहती हैं ऐसे में मेले का दिन खत्म होते ही देवता के पहरेदार बंदूकें लिए इसका पहरा करते हैं झील की सफाई भी हर तीन या पांच साल के बाद की जाती है कमरुनाग की झील एक ऐसी झील है जिसके पानी पर घास जम जाता है ऐसे में जब सफाई की जानी होती है तो पहले घास को हटाना पडता है तथा सफाई करने के बाद जब तक दोबारा इस पर घास काई आदि जम नही जाती तब तक पहरा लगाया जाता है ताकि चोर पानी में घुस कर श्रद्धालुओं द्वारा भेंट के रुप में फेंका गया सोना चांदी न ले जाएं आंखों से देखें इस बार नजारामंडी करसोग मार्ग पर मंडी से 55 व सुंदरनगर से 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा हैं रोहांडा कस्बा इसी कस्बे से सीधी 6 किलोमीटर की चढाई जो अब रास्ता चौडा बन जाने से काफी सुगम हो गई है, से इस झील तक पहुंचा जा सकता है झील में करंसी, सोना चांदी व गहने फेंके जाने का रोचक, रोमांचक व हैरतअंगेज नजारा यदि नंगी आंखों से देखना हो तो पहली आषाढ की सुबह ही यहां पहुंच जाना होगा पिछले रात को रोहांडा में भी ठहरा जा सकता है जहां पर वन विभाग का विश्राम गृह है कमरुनाग के लिए मंडी के ज्यूणी घाटी के धंग्यारा, चैलचौक, कुटाहची व चौकी आदि से भी रास्ते हैं





बुधवार, 10 सितंबर 2014

चंडीगढ़

भारत के सबसे खूबसूरत और नियोजित शहरों में एक

पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ भारत के सबसे खूबसूरत और नियोजित शहरों में एक है। इस केन्द्र शासित प्रदेश को प्रसिद्ध फ्रेंच वास्तुकार ली कोर बुसियर ने डिजाइन किया था। इस शहर का नाम एक दूसरे के निकट स्थित चंडी मंदिर और गढ़ किले के कारण पड़ा जिसे चंडीगढ़ के नाम से जाना जाता है। शहर में बड़ी संख्या में पार्क हैं जिनमें लेसर वैली, राजेन्द्र पार्क, बॉटोनिकल गार्डन, स्मृति उपवन, तोपियारी उपवन, टेरस्ड गार्डन और शांति कुंज प्रमुख हैं। चंडीगढ़ में ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी, प्राचीन कला केन्द्र और कल्चरल कॉम्प्लेक्स को भी देखा जा सकता है।
क्या देखें    



केपिटल कॉम्प्लेक्स- यहां हरियाणा और पंजाब के अनेक प्रशासनिक भवन हैं। विधानसभा, उच्च न्यायालय और सचिवालय आदि इमारतें यहां देखी जा सकती हैं। यह कॉम्प्लेक्स समकालीन वास्तुशिल्प का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां का ओपन हैंड स्मारक कला का उत्तम नमूना है।        

रॉक गार्डन- चंडीगढ़ आने वाले पर्यटन रॉक गार्डन आना नहीं भूलते। इस गार्डन का निर्माण नेकचंद ने किया था। इसे बनवाने में औद्योगिक और शहरी कचरे का इस्तेमाल किया गया है। पर्यटक यहां की मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि को देखकर अचरज में पड़ जातें हैं। हर साल इस गार्डन को देखने हजारों पर्यटक आते हैं। गार्डन में झरनों और जलकुंड के अलावा ओपन एयर थियेटर भी देखा जा सकता, जहां अनेक प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियां होती रहती हैं।
       
रोज गार्डन- जाकिर हुसैन रोज गार्डन के नाम से विख्यात यह गार्डन एशिया का सबसे बड़ा रोज गार्डन है। यहां गुलाब की 1600 से भी अधिक किस्में देखी जा सकती हैं। गार्डन को बहुत खूबसूरती से डिजाइन किया गया है। अनेक प्रकार के रंगीन फव्वारे इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। हर साल यहां गुलाब पर्व आयोजित होता है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना होता है।
 

सुखना झील- यह मानव निर्मित झील 3 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है। इसका निर्माण 1958 में किया गया था। अनेक प्रवासी पक्षियों को यहां देखा जा सकता है। झील में बोटिंग का आनंद लेते समय दूर-दूर फैले पहाड़ियों के सुंदर नजारों के साथ-साथ सूर्यास्त के नजारे भी यहां से बड़े मनमोहक दिखाई देते हैं।



संग्रहालय- चंडीगढ़ में अनेक संग्रहालय हैं। यहां के सरकारी संग्रहालय और कला दीर्घा में गांधार शैली की अनेक मूर्तियों का संग्रह देखा जा सकता है। यह मूर्तियां बौद्ध काल से संबंधित हैं। संग्रहालय में अनेक लघु चित्रों और प्रागैतिहासिक कालीन जीवाश्म को भी रखा गया है। अन्तर्राष्ट्रीय डॉल्स म्युजियम में दुनिया भर की गुडियाओं और कठपुतियों को रखा गया है।
          

सुखना वन्यजीव अभ्यारण्य- लगभग 2600 हेक्टेयर में फैले इस अभ्यारण्य में बड़ी संख्या में वन्यजीव और वनस्पतियां पाई जाती हैं। मूलरूप से यहां पाए जाने वाले जानवरों में बंदर, खरगोश, गिलहरी, साही, सांभर, भेड़िए, जंगली सूकर, जंगली बिल्ली आदि शामिल हैं। इसके अलावा सरीसृपों की अनेक प्रजातियों भी यहां देखी जा सकती हैं। अभ्यारण्य में पक्षियों की विविध प्रजातियों को भी देखा जा सकता है।



कैसे जाएं
वायु मार्ग
- चंडीगढ़ एयरपोर्ट सिटी सेंटर से करीब 11 किमी. की दूरी पर है। देश के प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित फ्लाइटें हैं।
रेल मार्ग- चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन सिटी सेंटर से करीब 8 किमी. दूर सेक्टर 17 में स्थित है। यह रेलवे स्टेशन शहर को देश के अन्य हिस्सों से रेलमार्ग द्वारा जोड़ता है। दिल्ली से यहां के लिए प्रतिदिन ट्रेने हैं।
सड़क मार्ग- राष्ट्रीय राजमार्ग 21 और 22 चंडीगढ़ को देश के अन्य हिस्सों से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ते हैं। दिल्ली, जयपुर, शिमला, कुल्लू, कसौली, मनाली, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, हरिद्वार, देहरादून आदि शहरों से यहां के लिए नियमित बस सेवाएं हैं।
कब जाएं- अक्टूबर से मार्च।
कहां ठहरें
होटल माउंटव्यू
लोकेशन
- सेक्टर 10, चंडीगढ़
दूरभाष- 0172 - 2740544, 2740444, 2743268
फैक्स- 0172 - 2742220, 2742565
ईमेलhmv10@glide.net.in
वेबसाइटhttp://citcochandigarh.com
कमरों की संख्या- 155
सुविधाएं- रेस्टोरेंट, बार, टी व कॉफी मेकर, रूम सेफ, डॉक्टर ऑन कॉल, बिजनेस सेंटर, हेल्थ क्लब, ब्यूटी पॉर्लर, पेस्ट्री शॉप, इंटरनेट, क्रेडिट कार्ड स्वीकार्य आदि।
ताज चंडीगढ़
लोकेशन
- सेक्टर 17, चंडीगढ़
दूरभाष- 0172 - 6513000
फैक्स- 0172 - 6514000
ईमेलtaj.chandigarh@tajhotels.com
वेबसाइटwww.tajhotels.com
कमरों की संख्या- 149
सुविधाएं- रेस्टोरेंट, बार, टी व कॉफी मेकर, रूम सेफ, रूम सर्विस, लॉन्ड्री, डॉक्टर ऑन कॉल, बिजनेस सेंटर, हेल्थ क्लब, इंटरनेट, क्रेडिट कार्ड स्वीकार्य आदि।
होटल मार्क रोयल
लोकेशन
- पंचकुला जीरकपुर हाइवे, पटियाला
दूरभाष- 0172 - 3295001 - 4
फैक्स- 01762 - 271156
ईमेलinfo@hotelmarcroyale.com
वेबसाइटwww.marcroyale.com
कमरों की संख्या- 50
सुविधाएं- रेस्टोरेंट, बार, क्रेडिट कार्ड स्वीकार्य आदि।
होटल माया पैलेस
लोकेशन
- सेक्टर 35, चंडीगढ़
दूरभाष- 0172 - 4688700/2600547
फैक्स- 0172 - 2660555
ईमेलmayachd@mayahotelsindia.com
वेबसाइटwww.mayahotels.co.in
कमरों की संख्या- 26
सुविधाएं- रेस्टोरेंट, बार, लॉन्ड्री, पार्किंग, क्रेडिट कार्ड स्वीकार्य आदि।
होटल शिवालिक व्यू
लोकेशन
- सेक्टर 17, चंडीगढ़
दूरभाष- 0172 - 2700001, 4672222
फैक्स- 0172 - 2701094
ईमेलshivalikview@citcochandigarh.com
वेबसाइटhttp://citcochandigarh.com
कमरों की संख्या- 108
सुविधाएं- रेस्टोरेंट, बार, रूम सर्विस, इंटरनेट, केबल टीवी, इलेक्ट्रॉनिक सेफ, बिजनेस सेंटर, डॉक्टर ऑन कॉल, लॉन्ड्री, मुद्रा विनिमय, ट्रैवल डेस्क, जकुजी, मसाज, सोना, बैंक, क्रेडिट कार्ड स्वीकार्य आदि।